Bater Palan-Kam samay me moti kamai का एक तेजी से बढ़ता हुआ Business है। ठण्ड के दिनों में इसकी मांग काफी बढ़ जाती है। मुर्गी और बत्तख पालन के बाद बटेर पालन का व्यवसाय भी देश में एक उभरता हुआ Business है।

बटेर पालन किसान – बंधू कम लागत और कम संसाधन के साथ शुरू कर अधिक मुनाफा कमा सकते हैं। हाल के कुछ वर्षों में मांस खाने वाले लोगों में बटेर के मांस के प्रति रुचि में वृद्धि हुई जिसका मुख्य कारण इसकी पोष्टिकता है। मुर्गी और बतख की तुलना में के काफी स्वादिष्ट होता है और यह पौष्टिकता से भरपूर भी है। इसमें वसा की मात्रा न के बराबर होती है। इस खासियत की वजह से वजन कम करने की चाह रखने वाले लोग भी खूब पसंद करते हैं। उत्तर प्रदेश और बिहार जैसे राज्यों में बटेर पालन बिजनेस तेजी से फल-फूल रहा है। इस पर अलग से विशेष ध्यान देने की जरूरत नहीं पड़ती, इस कारण किसान बटेर पालन आसानी से कर लेते हैं।
- समयावधि और प्रबंधन
- प्रजाति एवं आहार प्रबंधन
- चुनौतियाँ
Bater Palan-Kam samay me moti kamai समयावधि और प्रबंधन:
किसान साल भर में 4-5 बार बटेर पालन कर सकते हैं. ये आकार में काफी छोटे होते हैं और इन्हें पालने के लिए काफी कम जगह की जरूरत होती है। वहीं इन्हें परिपक्व होने में काफी कम वक्त लगता है। यहीं कारण है कि किसान अधिक मुनाफा कमाते है। वैसे तो इसे खाने वाले लोग इसे सालों भर खाते हैं जबकि ठंड इसकी मांग काफी बढ़ जाती है जिसके चलते कीमत में भी इजाफा होता और इस मौसम (अक्टूबर – फरबरी ) में इसका पालन कर अधिक मुनाफा कमा सकते हैं। बटेर को 30 -35 दिन पलने के बाद हीं इसे बेंचा जा सकता है।
Bater Palan-Kam samay me moti kamai –प्रजाति एवं आहार प्रबंधन :
भारत में बटेर पालन को प्रतिबंधित कर दिया गया था लेकिन सरकार ने हाई -ब्रीड जापानी बटेर को पालने की अनुमति दी है। सामान्यतः इस Business में अनुभवी किसान – बंधू एक दिन के चूजे को लाकर इसका पालन करते हैं जबकि वैसे किसान -बंधू जिन्हें अनुभव का अभाव है उन्हें कम से कम एक सप्ताह के चूजे के साथ शुरुआत करनी चाहिए। आहार के तौर इन्हें मुर्गियों को दिए जाने वाले प्री -स्टार्टर फीड देना चाहिए, जैसा की आपको पता है की यह एक छोटे आकर की पक्षी है तो इसे ज्यादा आहार की जरुरत नहीं होती है प्रति पक्षी 10 ग्राम आहार पर्याप्त होता है।
Bater Palan-Kam samay me moti kamai–चुनौतियाँ:
Bater Palan-Kam samay me moti kamai का जरिया बन सकता है लेकिन इसके साथ हीं कई छोटी-मोटी चुनौतियाँ भी हैं। बटेर पालन में अगर चुनौतियों की बात करें तो सबसे बड़ी चुनौती आवास की होती है, यह मुर्गी और बतख की तुलना ज्यादा उड़ने वाली होती हैं जिसके चलते आवास की पूर्ण घेराबंदी जरुरी होती।
इसके चूजे बहुत हीं छोटे आकर के होते हैं जिसके चलते उन्हें उचित ब्रूडिंग की जरुरत होती अन्यथा चूजों के मृत्युदर में इजाफा देखने को मिलता है इस लिए किसान बंधू के लिए उचित तापमान की व्यवस्था बनाए रखना एक सबसे बड़ी चुनौती है, दूसरी सबसे बड़ी चुनौती बाजार की है जो किसान बंधू इसका पालन छोटे स्तर पर करते हैं उन्हें लोकल तौर बेचने में परेशानी होती है जिसके चलते कभी-कभी किसान भाइयों को नुकसान का सामना करना पड़ता है जबकि बड़े किसान आसानी से इसे पूर्वोतर के राज्य में भेज कर अच्छा मुनाफा कमाते हैं।
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तमाम चुनौतियों के वावजूद यह किसान – भाइयों के लिए कम लगात, कम जगह के साथ शुरू किया जाने वाला एक सर्वोतम व्यवशाय के रूप में उभरा है खास करके युवा किसान इसकी शुरुआत कर बटेर -पालन से अधिक मुनाफा कमा रहे हैं जो की बहुत ही उत्साहबर्धक स्थिति है। अधिक जानकारी के लिए किसान बंधू अपने नजदीकी विशेषज्ञों से या वैसे किसान – बंधू जो इसका पालन पहले से कर रहे हैं उनसे सलाह ले लेकर इसकी शुरुआत कर सकते हैं।